Friday, November 22, 2019

मोदी सरकार सरकारी कंपनियां क्यों बेच रही है?

भारत का राजकोषीय घाटा 6.45 लाख करोड़ रुपए का है. इसका मतलब ख़र्चा बहुत ज़्यादा और कमाई कम. ख़र्च और कमाई में 6.45 लाख करोड़ का अंतर.
तो इससे निपटने के लिए सरकार अपनी
मोदी सरकार की कैबिनेट ने 5 कंपनियों के विनिवेश को मंज़ूरी दे दी है. इससे पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अगस्त में बीबीसी को बताया था कि विनिवेश या बिक्री के लिए केंद्र सरकार को 46 कंपनियों की एक लिस्ट दी गई है और कैबिनेट ने इनमें 24 के विनिवेश को मंज़ूरी दे दी है.
सरकार का टारगेट है कि इस साल वो ऐसा करके 1.05 लाख करोड़ रुपए कमाएगी.
कंपनियों का निजीकरण और विनिवेश करके पैसे जुटाती है.
निजीकरण और विनिवेश को अक्सर एक साथ इस्तेमाल किया जाता है लेकिन निजीकरण इससे अलग है. इसमें सरकार अपनी कंपनी में 51 फीसदी या उससे ज़्यादा हिस्सा किसी कंपनी को बेचती है जिसके कारण कंपनी का मैनेजमेंट सरकार से हटकर ख़रीदार के पास चला जाता है.
विनिवेश में सरकार अपनी कंपनियों के कुछ हिस्से को निजी क्षेत्र या किसी और सरकारी कंपनी को बेचती है.
सरकार तीन तरह से पैसा जुटाने की कोशिश कर रही है - विनिवेश, निजीकरण और सरकारी संपत्तियों की बिक्री.
निजीकरण और विनिवेश एक ऐसे माहौल में हो रहा है जब देश में बेरोज़गारी एक बड़े संकट के रूप में मौजूद है. देश में पूँजी की सख़्त कमी है. घरेलू कंपनियों के पास पूँजी नहीं है. इनमें से अधिकतर क़र्ज़दार भी हैं. बैंकों की हालत भी ढीली है.
विनिवेश के पक्ष में तर्क ये है कि सरकारी कंपनियों में कामकाज का तरीक़ा प्रोफेशनल नहीं रह गया है और उस वजह से बहुत सारी सरकारी कंपनियां घाटे में चल रही हैं.
इसलिए उनका निजीकरण किया जाना चाहिए जिससे काम-काज के तरीक़े में बदलाव होगा और कंपनी को प्राइवेट हाथों में बेचने से जो पैसा आएगा उसे जनता के लिए बेहतर सेवाएं मुहैया करवाने में लगाया जा सकेगा.
5 जुलाई को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) में अपना निवेश 51 फ़ीसदी से कम करने की घोषणा की थी.
इसका आसान शब्दों में मतलब ये हुआ कि अगर 51 फीसदी से कम शेयरहोल्डिंग होगी तो सरकार की मिल्कियत ख़त्म.
लेकिन उसी घोषणा में ये बात भी थी कि सरकार सिर्फ़ मौजूदा नीति बदलना चाहती है जो फ़िलहाल सरकार की 51% डारेक्ट होल्डिंग की है. इसे बदलकर डारेक्ट या इनडारेक्ट सरकारी होल्डिंग करना चाहते हैं.
एक उदाहरण इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) का लेते हैं. इसमें सरकार की 51.5% डारेक्ट होल्डिंग है. इसके अलावा लाइफ़ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) के 6.5% शेयर भी उसमें हैं जो पूरी तरह सरकारी कंपनी है. इसका मतलब IOCL में सरकार की इनडारेक्ट होल्डिंग भी है.
तो अगर सरकार IOCL से अपनी डारेक्ट सरकारी होल्डिंग कम करती है तो इनडारेक्ट सरकारी होल्डिंग की वजह से फ़ैसले लेने की ताकत सरकार के हाथ में होगी. लेकिन फिर इसका उद्देश्य क्या है? उद्देश्य तो ये था कि कोई नया निवेशक आए और इन संस्थानों को बदल कर विकास की राह पर लाए. लेकिन कहीं ना कहीं सरकारी हस्तक्षेप की आशंका रहती है.
आर्थिक और व्यवसाय जगत के एक बड़े वर्ग का मानना है कि पिछले तीसेक सालों में जिस तरह से सरकारी कंपनियों को बेचा गया है वो विनिवेश था ही नहीं, बल्कि एक सरकारी कंपनी के शेयर्स दूसरी सरकारी कंपनी ने ख़रीदे हैं.
इससे सरकार का बजट घाटा तो कम हो जाता है लेकिन न तो इससे कंपनी के शेयर होल्डिंग में बहुत फ़र्क़ पड़ता है, न ही कंपनी के काम-काज के तरीक़े बदलकर बेहतर होते हैं.

Tuesday, September 17, 2019

क्या कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद की है ये तस्वीर? फ़ैक्ट चेक

हाथ और सिर पर पट्टी बांधे खड़े कुछ बच्चों की तस्वीरें बीबीसी न्यूज़ हिन्दी के हवाले से सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं.
इन तस्वीरों के साथ दावा किया गया है कि 'कश्मीर में आर्टिकल-370 हटने के बाद 42 लोग पैलेट गन का शिकार हो चुके हैं. इनमें से अधिकतर अपनी आँखें गंवा चुके हैं'.
यह सूचना और दोनों तस्वीरें, सोशल मीडिया पर बीबीसी न्यूज़ हिन्दी को सोर्स बताकर शेयर की जा रही हैं जो कि ग़लत है. बीबीसी आधिकारिक तौर पर इसका खंडन करता है.
5 अगस्त 2019 को आर्टिकल-370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी किये जाने के बाद भारत प्रशासित कश्मीर हो या पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर, दोनों तरफ़ से बीबीसी की न्यूज़ रिपोर्टिंग लगातार जारी है.
इस कवरेज में कहीं भी सोशल मीडिया पर शेयर हो रहीं बच्चों की ये दो तस्वीरें इस्तेमाल नहीं की गई हैं.
सोशल मीडिया पर भी 18 फ़रवरी 2019 के कुछ पोस्ट हमें मिले जिनमें इन दो तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है.
यानी जम्मू-कश्मीर की मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति से इन तस्वीरों का कोई संबंध नहीं है.
यह बात अलग है कि कुछ भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन समय-समय पर भारतीय फ़ौज द्वारा भारत प्रशासित कश्मीर के लोगों पर पैलेट गन के इस्तेमाल की आलोचना करते रहे हैं.
साल 2016 में गृह मंत्रालय के एक पैनल ने भारत प्र
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने सोमवार को 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' के एक पुराने आर्टिकल का लिंक शेयर किया था जिसे अब सोशल मीडिया पर तेज़ी से शेयर किया जा रहा है.
2013 में छपे इस आर्टिकल के अनुसार 'कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ-II से भी अधिक अमीर हैं'.
पुनीत अग्रवाल ने लिखा, "कितने न्यूज़ चैनल अब इस मुद्दे पर डिबेट करेंगे. सिवाए करप्शन के भला कांग्रेस की इतनी कमाई का क्या सोर्स हो सकता है?"
लेकिन बीबीसी ने इन सभी दावों को ग़लत पाया क्योंकि जिस रिपोर्ट के आधार पर 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' का ये आर्टिकल लिखा गया था, उस रिपोर्ट में बाद में तथ्यात्मक बदलाव किये गए थे और सोनिया गांधी का नाम लिस्ट से हटा दिया गया था.
इस आर्टिकल को ट्वीट करते हुए अश्विनी उपाध्याय ने लिखा, "कांग्रेस की एलिज़ाबेथ ब्रिटेन की महारानी से और कांग्रेस के सुल्तान ओमान के सुल्तान से भी अधिक अमीर हैं. भारत सरकार को जल्द से जल्द क़ानून बनाकर इनकी 100 फ़ीसद बेनामी संपत्ति को ज़ब्त कर लेना चाहिए और उम्रक़ैद की सज़ा देनी चाहिए."
शासित कश्मीर में पैलेट गन के विकल्प के तौर पर कम घातक माने जाने वाले मिर्च पाउडर के गोले इस्तेमाल करने की सलाह दी थी.
तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस समिति के गठन की मंजूरी दी थी जिसे पैलेट गन का विकल्प तलाशने के लिए बनाया गया था.
संवैधानिक स्वायत्तता ख़त्म करने के सरकार के फ़ैसले के बाद भारत प्रशासित कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों पर पिटाई और प्रताड़ना के आरोप लग रहे हैं. लेकिन भारतीय सेना ने इन आरोपों को 'आधारहीन और अप्रमाणित' बताया है.
बीबीसी ने भारत प्रशासित कश्मीर के दक्षिणी ज़िलों के कुछ गाँवों का दौरा करने के बाद शुक्रवार को एक रिपोर्ट पब्लिश की है.
इससे पहले भी श्रीनगर से सटे सौरा में जुमे की नमाज़ के बाद हुई हिंसा पर बीबीसी ने एक ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की थी.

Friday, August 23, 2019

التايمز: البغدادي المريض يضع تنظيم الدولة تحت إمرة ضابط سابق في جيش صدام

تناولت الصحف البريطانية الصادرة الخميس عددا من القضايا العربية والشرق أوسطية من بينها اختيار ابو بكر البغدادي، زعيم تنظيم الدولة الإسلامية، عبد الله قرداش، لينوب عنه في إدارة شؤون التنظيم، وشكوى علماء ملحدين من تعريف "معاداة الإسلام" حيث يرون فيها تضييقا على حرية التعبير، وغيرها من القضايا.
البداية من صحيفة التايمز وتقرير لجوردان سيغال بعنوان "البغدادي المريض يضع تنظيم الدولة الإسلامية تحت إمرة "الأستاذ".
ويقول الكاتب إن البغدادي سلم إدارة الشؤون اليومية لتنظيم الدولة الإسلامية لمساعده عبد الله قرداش، المعروف بلقب "الأستاذ" وهو ضابط سابق في جيش صدام حسين بزغ نجمه في التنظيمات المتطرفة بعد سقوط صدام عام 2003. ويضيف الكاتب أن القرار يزيد من التكهنات حول حالة البغدادي الصحية.
وتقول الصحيفة إن القوات الأمريكية اعتقلت كلا من البغدادي، 48 عاما، وقرداش، وعمره غير معلوم، عام 2003 لصلاتهما بتنظيم القاعدة، واعتقلا سويا في البصرة، حيث يعتقد أن البغدادي استغل قدراته كداعية جهادي، وتمكن من تجنيد المئات من السجناء لقضيته، وكون رؤيته لما وصفه بأنه دولة الخلافة.
ويقول الكاتب إن البغدادي بدأ مسيرته كزعيم جهادي بصورة علنية كبيرة، حيث ألقى خطبة من مسجد النوري في الموصل عام 2014، لإعلان مولد خلافته. ويضيف أن أول تسجيل بالفيديو للبغدادي منذ خمسة أعوام ظهر في إبريل/نيسان من العام الحالي، واصطبغ فيه جزء من لحيته بالحناء وقال فيه إنه بصحة جيدة.
وقال محللون للصحيفة إن البغدادي اختار خليفة له ليتولي إعادة بناء التنظيم بينما يتولى البغدادي ذاته تجديد خطاب التنظيم ليجتذب المجندين كما كان يجذبهم عند بدايته.
وقال فاضل أبو رغيف، وهو محلل أمني سابق مع الحكومة العراقية، للصحيفة "البغدادي لن يتخلى عن منصبه، فقد أعطى قرداش مهمة محددة تتعلق بالمهمات اللوجستية والحركة".
وأضاف أبو رغيف "توجد ثلاثة أسباب مرجحة لاختيار البغدادي لزعيم آخر داخل التنظيم: سد الثغرات في التنظيم، وللاتحاد مع قرداش، الذي يحظى بشعبية وسط أعضاء التنظيم، وتحضيره لزعامة جديدة في مرحلة لاحقة".
ويقول الكاتب إن قوات الأمن في المنطقة حذرت من أن الخلايا المتبقية في تنظيم الدولة الإسلامية ما زالت منظمة بدرجة تكفي لشن هجمات واستغلال أي فراغ للسلطة.
وننتقل إلى صحيفة ديلي تلغراف، ومقال لتشارلز هيماس، محرر الشؤون الداخلية، بعنوان "مؤلفون يهاجمون التعريف الجديد لكراهية الإسلام".
ويقول التقرير إن اثنين من أهم العلماء الملحدين في بريطانيا يرون أن قدرة الناس على انتقاد "الأيديولوجيا البغيضة للإسلام المتشدد" ستتعرض لقيود بسبب التعريفات الجديدة لمصطلح "كراهية الإسلام".
ويقول ريتشارد دوكنز وبيتر تاتشيل وغيرهم من الكتاب يقولون في كتاب جديد إن محاولات وضع تعريف لكراهية الإسلام قد تؤدي إلى الحد من حرية التعبير والكشف عن التطرف.
وقال ميتشيل إنه وُصف ككاره للإسلام وفقا لتعريف كراهية الإسلام الذي أقرته لجنة برلمانية مشكلة من جميع الأحزاب في بريطانيا، عندما أدان جماعة حزب التحرير بشأن تعليقات معادية للمثليين وضد المرأة.
وقال ميتشيل "اعتبروني كارها للإسلام، على الرغم من أنني كنت فقط أواجه الأيديولوجيا البغيضة للإسلام المتشدد، وليس الأشخاص المسلمين، الذين تعارض الأغلبية العظمى منهم مثل هذه النوايا القاتلة".
وقال ريتشارد دوكنز، أستاذ علم الأحياء والتطور إن "كراهية المسلمين، أمر مدان، مثل كراهية أي جماعة من الأشخاص مثل المثليين أو أفراد أي عرق من الأعراق. على النقيض من ذلك‘ فإن كراهية الإسلام أمر يسهل تبريره، مثل كراهية أي دين آخر أو أي أيديولوجيا بغيضة".
وفي صحيفة فاينانشال تايمز نطالع تقريرا لبرمروز رايوردان من هونغ كونغ بعنوان "استراليا تنضم إلى قوة بحرية بقيادة الولايات المتحدة لحماية الملاحة في الخليج".
وتقول الصحيفة إن استراليا ستصبح واحدة من الدول القليلة التي تشارك في قوة بحرية بقيادة الولايات المتحدة لحماية الملاحة في الخليج، حيث تصاعد التوتر بعد احتجاز إيران لناقلة نفط تحمل العلم البريطاني في مضيق هرمز الشهر الماضي.
ويقول الكاتب إن رئيس الوزراء الاسترالي سكوت موريسون أعلن القرار أمس مع تزايد الضغط في المنطقة، حيث حذر وزير الخارجية الأمريكي مايك بومبيو من أن أي دولة تسمح برسو ناقلة إيرانية مفرج عنها مؤخرا قد تتتعرض لعقوبات.
وتقول الصحيفة إن الولايات المتحدة وبريطانيا، التي تشارك أيضا في التحالف الأمريكي، تجدان صعوبة في إقناع دول أخرى للانضمام إلى القوة التي تشرف على الملاحة في الخليج، ووافقت البحرين على الانضمام للقوة، لكن ألمانيا رفضت طلبا رسميا من واشنطن.

Tuesday, June 25, 2019

पाकिस्तान और भारत क्या इस क्रिकेट वर्ल्ड कप में फिर टकराएंगे?

पानी वाक़ई यहां की सबसे बड़ी समस्या है. जिस विरोध-प्रदर्शन के लिए टोलेवालों पर केस हुआ था, उनकी मुख्य मांगों में पानी भी था.
रामनाथ सहनी कहते हैं, "यहां के मुखिया से हमने कई बार मांग की. लेकिन एक भी चापा कल नहीं गड़ा. 12 जून को जब बच्चों की मौत होने लगी, हमने पानी के लिए बीडीओ को लिखित आवेदन दिया था. उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ."
फ़िलहाल मुशहरी टोले के लोग डरे हुए हैं. रविवार को जब लालगंज के लोजपा विधायक राजकुमार साह गांव में आए थे तो मीडिया चैनलों पर यह ख़बर चली कि विधायक को लोगों ने ग़ुस्से में बंधक बना लिया था.
चतुरी सैनी कहते हैं, "हमलोग सवाल पूछ रहे थे उनसे. बंधक बनाने की कोई बात ही नहीं है. उनके साथ भी चार से पांच सौ लोग थे, उस वक्त, क्या हुआ हम नहीं जानते."
भगवानपुर के थाना प्रभारी संजय कुमार ने बीबीसी से कहा, "रोड जाम करना एक अपराध है. हमने उसी आधार पर केस दर्ज किया है. ऊपर से आदेश था. बाद में हालांकि हमारे ही कहने पर गाँव वालों ने रास्ता खाली भी किया, लेकिन क़रीब तीन घंटे तक रोड जाम रहा."
लेकिन नेताओं और मंत्रियों के प्रति यहां के लोगों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर है. बच्चों की मौत का ग़म तो पहले से था ही, अब पुलिस से भी नाराज़गी बढ़ने लगी है.
तुरी कहते हैं, "दारोगा सुबह शाम चक्कर लगाने लगा है. लोगों से पकड़ कर पूछताछ हो रही है. लेकिन यहां के हालात में कोई बदलाव नहीं है. एक चापा कल था वो सूखा पड़ा है. दो दिन पहले पानी का एक टैंकर आया था. दोबारा नहीं आया."
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इंग्लैंड में खेला जा रहा वर्ल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट अपने शबाब पर है. कुछ मुक़ाबले दिल की धड़कनें बेहद तेज़ कर देने वाले रहे हैं और चौंकाने वाले भी.
एक पखवाड़े पहले दक्षिण अफ्रीका सरीखी टीमों को खिताब का दावेदार बताया जा रहा था, लेकिन बड़े टूर्नामेंट में एक बार फिर इस टीम ने अपने खेल से निराश किया और सात मैचों में सिर्फ़ एक मुक़ाबला जीत कर नॉकआउट हो चुकी है.
टूर्नामेंट में अब तक कम से कम चार मैच तो ऐसे रहे, जिन्होंने साबित किया कि मैच से पहले भले ही किसी टीम को फ़ेवरेट माना जाए, लेकिन जब खिलाड़ी मैदान पर उतरते हैं असल इम्तहान तभी होता है.

Monday, June 10, 2019

चर्चा में रहे लोगों से बातचीत पर आधारित साप्ताहिक कार्यक्रम

लिंडसे हिल्सम अपनी किताब में लिखती हैं, 'मिस्र के पत्रकार मोहम्मद हाइकाल ने लिखा था कि सऊदी अरब के शाह फ़ैसल और मिस्र के राष्ट्रपति नासेर उस समय अवाक रह गए जब ग़द्दाफ़ी ने सुझाव दिया कि जार्डन के शाह हुसैन को मार दिया जाए, क्योंकि उन्होंने अपने यहाँ से फलस्तीनी लड़ाकों को निकाल दिया था. ग़द्दाफ़ी कभी भी किसी अरब राष्ट्राध्यक्ष को नहीं मरवा पाए, लेकिन ऐसा नहीं था कि कभी उन्होंने इसके लिए कोशिश न की हो.
यासेर अराफ़ात के लिए उनके मन में कोई ख़ास इज़्ज़त नहीं थी. ग़द्दाफ़ी अराफ़ात से इसलिए नाराज़ रहते थे, क्योंकि उन्होंने विदेश में रह रहे उनके विरोधियों को मरवाने के लिए उन्हें अपने लोग मुहैया नहीं करवाए थे.
1982 में जब अराफ़ात और उनके अल- फ़तह के साथी बैरूत में घिर गए थे तो ग़द्दाफ़ी ने उन्हें खुला टेलिग्राम भेज कर कहा था, 'आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प ये है कि आप आत्महत्या कर लें.' तब अराफ़ात ने उन्हीं की भाषा में उसका जवाब देते हुए लिखा था, 'मैं इसके लिए तैयार हूँ, बशर्ते आप भी मेरे इस क़दम में मेरा साथ दें.' '
बहुत कम लोगों को पता है कि ग़द्दाफ़ी दुनिया की शक्ति शाली महिलाओं के बहुत मुरीद थे. लिंडसी हिल्सन अपनी किताब में लिखती हैं, ' एक बार उन्होंने एक इंटरव्यू के अंत में एक महिला पत्रकार से कहा था, 'क्या आप अमरीकी विदेश मंत्री मेडलीन अलब्राइट तक मेरा एक संदेश पहुंचा सकती हैं?'
संदेश में लिखा था, 'मैं आपसे प्यार करता हूँ. अगर आपकी भी मेरे प्रति यही भावनाएं हों तो तो अगली बार जब आप टेलिविजन पर आएं, तो हरे रंग की पोशाक पहनें. राष्ट्पति बुश के ज़माने में विदेश मंत्री रहीं कोंडेलीसा राइस से भी वो उतने ही प्रभावित थे और उनके पीठ पीछे उन्हें 'माई अफ़रीकन प्रिंसेज़' कहा करते थे.
राइस अपनी आत्मकथा 'नो हायर ऑनर' में लिखती हैं, ' 2008 में जब मैंने उनसे उनके तंबू में मिलने से इंकार कर दिया, तब वो मुझे अपने घर ले गए. वहाँ उन्होंने दुनिया के चोटी के नेताओं के साथ मेरी तस्वीरों का अपना संग्रह मुझे दिखाया. जब मैं ये देख रही थी तो उन्होंने अपने म्यूज़िक सिस्टम पर एक अंग्रेज़ी गाना चला दिया, 'ब्लैक फ़्लावर इन द वाइट हाउज़.''
भारत के साथ कर्नल ग़द्दाफ़ी के रिश्ते कभी बहुत अच्छे होते थे तो कभी बहुत बुरे. ग़द्दाफ़ी कभी भारत नहीं आए. यहाँ तक कि 1983 में दिल्ली में हुए गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में भाग लेने के लिए उन्होंने अपने नंबर 2 जालौद को दिल्ली भेजा.
वो यहाँ आकर एक विवाद में फंस गए. मशहूर पत्रकार केपी नायर ने 'टेलिग्राफ़' अख़बार में लिखा, 'सम्मेलन में भाग लेने के बाद अहदेल सलाम जालौद हैदराबाद गए, जहाँ उन्होंने न सिर्फ़ 'प्रोटोकॉल' तोड़ा, बल्कि अपनी सुरक्षा भी ख़तरे में डाल ली. जब उनकी कार का काफिला चार मीनार के सामने पहुंचा, तो वो कार से उतर कर उसकी छत पर नाचने लगे.
''उनकी ये तस्वीर भारतीय अख़बारों में भी छपी. इंदिरा गांधी ने इसको लीबिया की भारतीय मुसलमानों से सीधा संवाद बैठाने की कोशिश के रूप में लिया. भारत और लीबिया के संबंध ख़राब होना शुरू हो गए. लेकिन ग़द्दाफ़ी को पता था कि इंदिरा गाँधी को कैसे मनाया जा सकता है ? उन्होंने अपनी दूसरी पत्नी सफ़िया फ़रकाश अल ब्रज़ाई को इंदिरा को मनाने दिल्ली भेजा.''
जब ग़द्दाफ़ी की पत्नी दिल्ली आईं, उस समय लीबिया में अर्जुन असरानी भारत के राजदूत थे.
अर्जुन असरानी याद करते हैं, 'मेरी पत्नी श्रीमती ग़द्दाफ़ी को छोड़ने त्रिपोली हवाई अड्डे गईं. उस समय उन्होंने कहा था कि जब मैं वापस लौटूंगी तो आपसे मिलूँगी. जब ग़द्दाफ़ी की पत्नी दिल्ली पहुंची तो उन्हें राष्ट्पति भवन में ठहराया गया. इंदिरा गांधी से जब वो मिलने गईं, तो उन्होंने कहा कि मेरे पति ने मुझसे कहा है कि मैं तब तक लीबिया वापस न लौटूँ, जब तक इंदिरा गाँधी लीबिया आने का वादा न कर दें. बहुत इसरार करने पर इंदिरा गांधी ने लीबिया जाने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया.
''जब विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने मुझसे पूछा कि इसके बदले में क्या हम लीबिया से कुछ माँग सकते हैं ? मैने कहा 'दो भारतीय श्रमिक पाँच मिलीग्राम अफ़ीम रखने के आरोप में उम्र कैंद की सज़ा काट रहे हैं, क्योंकि वहाँ के कानून बहुत कठोर थे. अगर श्रीमती ग़द्दाफ़ी चाहें तो उन्हें दया के आधार पर छोड़ा जा सकता है. जैसे ही सफ़िया ग़द्दाफ़ी ने लीबिया की धरती पर क़दम रखा, उन दो भारतीय मज़दूरों को छोड़ दिया गया.''
अर्जुन असरानी आगे बताते हैं, 'उन्होंने मेरी पत्नी को कॉफ़ी पीने के लिए बुलाया. उन्होंने उनसे पूछा कि आपका लीबिया प्रवास कैसा रहा. मेरी पत्नी ने जवाब दिया, बाकी सब तो बहुत अच्छा था, लेकिन मुझे एक ही अफ़सोस रहा कि मैं आपके 'हैंडसम' पति से नहीं मिल पाई. उस समय तो ग़द्दाफ़ी की पत्नी कुछ नहीं बोलीं. अगले दिन मेरे पास ग़द्दाफ़ी के दफ़्तर से फोन आया कि आज का आपका क्या कार्यक्रम है ?
मैंने बता दिया कि शाम को मैं फ़्रेंच राजदूत के यहाँ भोज पर जा रहा हूँ. जब हम लोग भोजन कर रहे थे तभी फ़्रेंच दूतावास में कर्नल ग़द्दाफ़ी के यहाँ से फ़ोन आया. मुझसे पूछा गया कि श्रीमती असरानी क्या अभी कर्नल ग़द्दाफ़ी से मिलने आ सकती हैं ? मैंने पूछा सिर्फ़ श्रीमती असरानी ? उधर से जवाब आया 'सिर्फ़ मिसेज़ असरानी. आप चाहें तो एक दुभाषिया भेज सकते हैं.' ख़ैर मेरी पत्नी वहाँ गईं. ग़द्दाफ़ी बहुत गर्मजोशी से उनसे मिले. उन्होंने उन्हें एक कालीन और गोल्ड-प्लेटेड घड़ी दी जिसके डायल पर ग़द्दाफ़ी की तस्वीर थी.
लेकिन एक अजीब सी बात उन्होंने कही, ''मैंने सुना है कि आप कल लीबिया छोड़ कर दूसरे देश तबादले पर जा रहे हैं. लेकिन आपके पति बग़ैर मेरी अनुमति के लीबिया कैसे छोड़ सकते हैं ? मेरी पत्नी ने कहा कि ये बात तो आप मेरे पति से ही पूछ सकते हैं. जैसे ही मेरी पत्नी गाड़ी में बैठने लगीं, उन्हें बताया गया कि अपने पति से कह दीजिएगा कि कल सुबह उन्हें यहाँ बुलाया जाएगा.''
दूसरे दिन ग़द्दाफ़ी ने अर्जुन असरानी को बुलाने के लिए अपनी कार भेजी. ग़द्दाफ़ी ने उनके ज़रिए भारत से परमाणु तकनीक लेने की फ़रमाइश की जिसे भारत ने स्वीकार नहीं किया.
असरानी बताते हैं, 'ग़द्दाफ़ी ने मुझसे कहा कि मोरारजी भाई ने हमसे वादा किया था कि वो हमें परमाणु तकनीक देंगे. लेकिन वो अभी तक नहीं हो पाया है. मैंने कहा, मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. लेकिन मैं दिल्ली जा रहा हूँ तो आपकी इस बात का ज़िक्र ज़रूर करूँगा. ग़द्दाफ़ी ने मुझसे पूछा कि अब आपका तबादला किस देश में हुआ है ? जब मैंने कहा थाईलैंड तो ग़द्दाफ़ी ने कहा, थाईलैंड में हमारा कोई दूतावास नहीं हैं. आप वहाँ हमारे राजदूत की तरह भी काम करिएगा. मैं उनसे क्या कहता ? मैंने कहा ज़रूर, ज़रूर. '

Wednesday, April 24, 2019

ديلي تلغراف: السيسي يضمن البقاء في السلطة حتى 2030 في "استفتاء صوري"

تناولت الصحف البريطانية الصادرة الأربعاء عددا من القضايا العربية والدولية، منها نتيجة الاستفتاء على التعديلات الدستورية في مصر، ومحاولات شقيقتين من السعودية الحصول على اللجوء بعد فرارهما من المملكة، والزيارة المزمعة للرئيس الأمريكي دونالد ترامب لبريطانيا.
البداية من صحيفة ديلي تلغراف وتقرير لراف سانشيز من القاهرة بعنوان "السيسي يضمن البقاء في السلطة حتى 2030 في استفتاء صوري".
يقول سانشيز إنه سيتم تعديل الدستور المصري للسماح للرئيس عبد الفتاح السيسي بالبقاء في السلطة حتى عام 2030 بعد أن "زعمت الحكومة فوزها بـ 89 في المئة من الأصوات في استفتاء وجهت له الكثير من الانتقادات".
ويضيف أن هيئة الانتخابات في مصر قالت إن 11 في المئة من المصريين صوتوا ضد التعديلات الدستورية، التي تشدد من قبضة السيسي على القضاء وتوسع دور الجيش في السياسة المصرية.
ويورد التقرير أن منظمة العفو الدولية وصفت الاستفتاء بأنه "صوري"، قائلة إن عدم وجود نقاش حول التعديلات الدستورية الرئيسية يظهر "احتقار الحكومة المصرية لحقوق جميع المصريين".
وبحسب التقرير، فإن التعديلات الدستورية هي أحدث خطوة للسيسي لتوطيد سلطته منذ الإطاحة بالرئيس الإسلامي المنتخب محمد مرسي عام 2013 في "انقلاب عسكري".
ويضيف الكاتب أنه منذ الإطاحة بمرسي، سجنت الحكومة عشرات الآلاف في محاكمات جماعية، مع مزاعم عن تنفيذ عمليات إعدام سرية، كما تواجه الحكومة اتهامات بتفشي التعذيب في السجون.
وبحسب التقرير، فإن كل وسائل الإعلام المستقلة في مصر "اُجبرت على الإذعان"، بينما تم سجن المعارضين السياسيين أو نُفوا إلى الخارج.
وتلغي التعديلات الدستورية حد الفترتين الرئاسيتين الذي وضع بعد الانتفاضة المصرية عام 2011، كما تعطي السيسي الحق في تعيين القضاة وتعيين النائب العام، بحسب التقرير، الذي يضيف أن المفوضية الدولية للقضاء وصفت التعديلات بأنها "اعتداء بالغ على سلطة القانون".
ولم يُسمح للمناهضين للتعديلات الدستورية، بحسب التقرير، بتنظيم حملة انتخابية قبيل الاستفتاء، بينما حظي التصويت بنعم بدعاية واسعة في وسائل الإعلام الحكومية وفي ملصقات ولافتات دعائية على نطاق واسع في شتى أرجاء البلاد.
ويقول الكاتب إن أنصار السيسي عرضوا على الناخبين الفقراء 50 جنيها مصريا (دولارين) لكل ناخب أو صندوقا يحوي بعض السلع الأساسية.
وفي صحيفة التايمز، نطالع تقريرا لمجدي سمعان وريتشارد سبنسر بعنوان "شقيقتان سعوديتان تطلبان اللجوء بعد الفرار من تعذيب الأسرة".
ويقول التقرير إن شقيقتين سعوديتين فرتا من أسرتهما في السعودية، وتقيمان الآن في جمهورية جورجيا، وتعيشان تحت حماية الدولة التي تقدم لهما المأوى، وأنهما طلبتا اللجوء إلى بريطانيا أو دولة غربية أخرى.
وبحسب التقرير، فإن الشقيقتين وفاء ومها السبيعي هما الأحدث من بين حالات هروب نساء سعوديات. ويوضح التقرير أن الشقيقتين فرتا إلى جورجيا لأن مواطني السعودية ليسوا بحاجة لتأشيرة لدخولها.
وقالت الفتاتان للصحيفة إنها تخشيان قدوم والدهما أو أشقائهما إلى جورجيا لإعادتهما إلى السعودية.
كما قالتا للصحيفة "نود الذهاب إلى بلد يحمينا ويقدم لنا مستقبلا أفضل. نبحث عن أي بلد آمن يستقبلنا ولكننا نفضل هولندا أو كندا أو السويد أو بريطانيا".
وتشير الصحيفة إلى أن وفاء (25 عاما)، وهي ليست متزوجة، ومها (28 عاما)، وهي مطلقة، كانتا حريصتين على ألا يكشفا أين كانتا أو كيف تمكنتا من الفرار من أسرتهما.
وقالت الفتاتان إن قوانين وصاية الرجال على النساء في السعودية جعلت حياتهما "عذابا". وأضافتا أن لدى كليهما مؤهلات جامعيىة، حيث تتخصص إحداهن في علم الرياضيات بينما تتخصص الأخرى في المحاسبة.
ويقول التقرير إن ولي العهد السعودي، محمد بن سلمان، جعل منح المرأة المزيد من الفرص واحدة من سياساته الرئيسية للإصلاح، لكنه لم يرفع نظام القوامة ووصاية الرجل على المرأة. كما أنه حظر المعارضة بكل صورها، بما في ذلك ناشطات حقوق المرأة اللاتي تم سجن عدد منهن.
وجاءت افتتاحية صحيفة التايمز بعنوان "زيارة ترامب: بريطانيا بحاجة لدعم الولايات المتحدة ويجب أن ترحب بالرئيس".
وتقول الصحيفة إن الرئيس الأمريكي دونالد ترامب ثالث رئيس أمريكي بعد جورج دابليو بوش عام 2003 وباراك أوباما عام 2011 يتلقى دعوة من قصر باكنغهام لزيارة رسمية.
وتضيف الصحيفة أن بريطانيا في حاجة للولايات المتحدة في أزمتها الحالية، وسط محاولات رئيسة الوزراء البريطانية تريزا ماي العاثرة للخروج من الاتحاد الأوروبي.
وتقول الصحيفة إن لجون بيركو، رئيس مجلس العموم البريطاني، حق الموافقة على طلب ترامب إلقاء كلمة أمام البرلمان، وأنه يتوجب عليه الموافقة على ذلك المطلب.
وتضيف أن منصب الرئيس الأمريكي أهم وأكبر من أي شخص يشغله. ونظرا لأن ترامب يضع أهمية خاصة للعلاقات الشخصية مع رؤساء الدول والحكومات، يتعين الموافقة على طلبه لأن ذلك يتوافق مع مصلحة البلاد، حيث يقتضي ذلك إكرامه كضيف عزيز.

Thursday, March 14, 2019

अब भारतीय हवाई क्षेत्र में भी नहीं घुस पाएगा बोइंग 737 मैक्स

राहुल गांधी की इस बात पर जब सभागार में तालियाँ बजने लगीं तो उन्होंने कहा, "ज़रा सुनिए, इससे पहले कि आप मेरी बात सुनकर ख़ुश हों, मैं कहना चाहूँगा कि तमिलनाडु में भी महिला के लिए काफ़ी सुधार की गुंजाइश है."
राहुल गांधी ने कहा, "संसद और विधानसभाओं में कम महिलाओं का होना इस बात का संकेत है कि उन्हें पुरुषों से कमज़ोर समझा जा रहा है. लेकिन मैं मानता हूँ कि महिलाएं पुरुषों से ज़्यादा स्मार्ट होती हैं."
इस कार्यक्रम में राहुल गांधी ने तीन बड़ी घोषणाएं कीं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने वाला महिला आरक्षण विधेयक पारित करेगी.
साथ ही अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो केंद्र सरकार, केंद्रीय सरकारी संगठनों और सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों में सभी पदों का 33% महिलाओं के लिये आरक्षित किया जाएगा और 2023-24 तक शिक्षा के ख़र्च को जीडीपी के 6% तक बढ़ाया जाएगा.
राहुल गांधी ने भारत के दक्षिणी राज्यों से तुलना करते हुए बिहार और यूपी के लिए जो कहा वो तथ्यात्मक रूप से सही है.
संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक, 2017 के अनुसार केरल, पुद्दुचेरी, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, आध्र प्रदेश, तेलंगाना की तुलना में उत्तर प्रदेश, बिहार झारखंड, मध्य प्रदेश की स्थिति काफ़ी ख़राब है.
वहीं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की सबसे हालिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार और यूपी में महिलाओं के साथ दहेज के लिए उत्पीड़न, हिंसा और दुर्व्यवहार के मामले दक्षिण भारतीय राज्यों की तुलना में ज़्यादा दर्ज किये गए थे.
बोइंग ने दुनियाभर में उड़ान भर रही 737 मैक्स विमानों को फ़िलहाल सेवा से वापस ले लिया है.
कंपनी ने यह कदम दुर्घटनास्थल पर की गई जांच के बाद लिया है. जांचकर्ताओं को गड़बड़ी के कई सबूत मिले हैं.
रविवार को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा से कीनिया की राजधानी नैरोबी के लिए उड़ान भर रहा बोइंग 737 मैक्स विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सभी 157 लोगों की जान चली गई थी.
इसके बाद कई देशों ने इस विमान की उड़ान पर प्रतिबंध लगा दिए थे. बुधवार को भारत ने भी अपने हवाई क्षेत्र में इसके प्रवेश पर रोक लगा दी थी.
हालांकि पहले अमरीकी अधिकारियों ने दावा किया था कि यह विमान सुरक्षित है.
अमरीकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने कहा है यह सभी 371 विमानों की सेवाएं निलंबित करेगी.
फेडरल एविएशन एडमिनिट्रेशन (एफएए) ने कहा है कि नए सबूतों के अलावा सैटेलाइट से प्राप्त नए डेटा के आधार पर यह फ़ैसला लिया गया है.
एफएए की टीम वहां के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के साथ दुर्घटनास्थल पर जांच कर रही थी.
एफएए के अधिकारी डैन एलवेल ने बुधवार को कहा, "इथियोपियन एयरलाइंस का विमान कमोबेश लायन एयर के विमान की तरह दुर्घटना का शिकार हुआ था और इसे जांच कर रहे सभी पक्षों ने माना है."