रामनाथ सहनी कहते हैं, "यहां के मुखिया से हमने कई बार मांग की. लेकिन एक भी चापा कल नहीं गड़ा. 12 जून को जब बच्चों की मौत होने लगी, हमने पानी के लिए बीडीओ को लिखित आवेदन दिया था. उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ."
फ़िलहाल मुशहरी टोले के लोग डरे हुए हैं. रविवार को जब लालगंज के लोजपा विधायक राजकुमार साह गांव में आए थे तो मीडिया चैनलों पर यह ख़बर चली कि विधायक को लोगों ने ग़ुस्से में बंधक बना लिया था.
चतुरी सैनी कहते हैं, "हमलोग सवाल पूछ रहे थे उनसे. बंधक बनाने की कोई बात ही नहीं है. उनके साथ भी चार से पांच सौ लोग थे, उस वक्त, क्या हुआ हम नहीं जानते."
भगवानपुर के थाना प्रभारी संजय कुमार ने बीबीसी से कहा, "रोड जाम करना एक अपराध है. हमने उसी आधार पर केस दर्ज किया है. ऊपर से आदेश था. बाद में हालांकि हमारे ही कहने पर गाँव वालों ने रास्ता खाली भी किया, लेकिन क़रीब तीन घंटे तक रोड जाम रहा."
लेकिन नेताओं और मंत्रियों के प्रति यहां के लोगों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर है. बच्चों की मौत का ग़म तो पहले से था ही, अब पुलिस से भी नाराज़गी बढ़ने लगी है.
चतुरी कहते हैं, "दारोगा सुबह शाम चक्कर लगाने लगा है. लोगों से पकड़ कर पूछताछ हो रही है. लेकिन यहां के हालात में कोई बदलाव नहीं है. एक चापा कल था वो सूखा पड़ा है. दो दिन पहले पानी का एक टैंकर आया था. दोबारा नहीं आया."
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इंग्लैंड में खेला जा रहा वर्ल्ड कप
क्रिकेट टूर्नामेंट अपने शबाब पर है. कुछ मुक़ाबले दिल की धड़कनें बेहद
तेज़ कर देने वाले रहे हैं और चौंकाने वाले भी.
एक पखवाड़े पहले
दक्षिण अफ्रीका सरीखी टीमों को खिताब का दावेदार बताया जा रहा था, लेकिन
बड़े टूर्नामेंट में एक बार फिर इस टीम ने अपने खेल से निराश किया और सात
मैचों में सिर्फ़ एक मुक़ाबला जीत कर नॉकआउट हो चुकी है. टूर्नामेंट में अब तक कम से कम चार मैच तो ऐसे रहे, जिन्होंने साबित किया कि मैच से पहले भले ही किसी टीम को फ़ेवरेट माना जाए, लेकिन जब खिलाड़ी मैदान पर उतरते हैं असल इम्तहान तभी होता है.
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