Tuesday, September 18, 2018

法国成为意料之外的气候领袖

017年6月美国总统宣布退出《巴黎协定》之后,法国总统埃马纽埃尔·马克龙就一直热衷于在国际舞台上强调气候变化的重要性。

众所周知,他最常挂在嘴边的那句“让我们的地球再次伟大”仿效的是特朗普总统2017年的竞选口号,为的是向全世界承诺,法国在气候行动问题上坚定不移的立场。德国、英国等其他欧盟成员国正疲于应付国内的各种问题,而与此同时法国却稳扎稳打地将自己树立成了这个各自为营的联盟的气候领袖。

然而,结合法国的国内政策来看,马克龙做出的上述承诺却显得力有不逮。法国仍在以牺牲可再生能源为代价大举投资核电,并且最近其所承诺的化石燃料限产承诺也低于预期。

携手中国

某种程度上来说,马克龙是否能够兑现其有关气候的豪言壮语还取决于法国如何与中国这个世界上最大的二氧化碳排放国和可再生能源投资国展开合作。

本月初,马克龙在受邀访华前夕接受了中国网的采访。采访中,他强调了中法合作共同抵御气候变化的重要性。

访华期间,两国领导人重申了携手共同遏制全球变暖的承诺。在新华社发布的中法联合声明中,双方呼吁建立全球统一阵线,共同抵御气候变化挑战,并完善全球治理,促进国际事务中的多边主义。

这些承诺以及马克龙发表演讲时用普通话说的那句“让地球再次伟大”迅速传播开来。但即便如此,马克龙此次访华并没有在环境方面取得任何实质性的成果,反而是与习近平主席签署了50多项旨在解决目前中法贸易失衡问题的商业协议。

马克龙大展拳脚

在如今的欧洲,一方面,英国首相特蕾莎·梅忙于脱欧。而另一方面,德国总理安吉拉·默克尔则为了赢得第四次连任而四处寻求建立强有力的联盟。都无暇顾及气候变化问题。法国则趁此机会填补了领导力真空。

于是,在2017年9月举行的联合国大会上,马克龙宣布了法国在气候行动资金问题上的承诺,并(针对美国总统特朗普打算让美国退出的决定)坚称不会就《巴黎协定》重新进行谈判。

在去年11月举行的联合国气候峰会上,法国重提其到2050年实现碳中性的目标。紧接着,在一个月之后举行的“同一个地球峰会”上,马克龙召集全球各国领导人及公私领域的代表,共同商讨如何为气候行动融资的问题。除了发表的各项声明之外,法国还是“绿色气候基金”的第四大出资国。

此次峰会虽然确认了来自盖茨基金会、 、世界银行等一些组织的主要资金承诺,但这些资金其实都是早已计划好的,而发布的新声明却寥寥无几,只有中国、加拿大和欧盟宣布将于2018年6月在布鲁塞尔召开另一次部长级气候峰会。

如果法国力求将自己树立为全球气候领袖,那么,国内的情况则更加复杂。

马克龙的气候计划要求所有政府部门协调行动,加快法国的“生态转型”,落实《巴黎协定》。

2017年9月,法国生态转型部部长尼古拉斯·于勒宣布出台新的法令(同年12月该法令获得国民议会的通过),将在2040年之前逐步停止化石燃料的生产。这是法国采取的首个实质性举措。

该举措使法国成为首个禁止勘探开采化石燃料的国家。然而,绿色和平组织法国分部却认为该法令的覆盖面非常有限。另外,法国只有1%的化石能源来自国内。所以,该法律的影响很小。

法国对核能的依赖也令人质疑。法国气候环境行动网2017年4月发布的一份报告称,核能占法国能源供应的16%,而全球的这一数字却只有2%。

由于核能二氧化碳排放量低,因此,相对于其他能源来说,有时更受青睐。然而,虽然法国75%的电力供应来自于核能,但温室气体排放仍高出其环境目标四倍之多。

除了核事故的威胁及其带来的灾难性后果之外,人们也逐渐意识到,核技术并不适合当前气候不断变化的环境,因为它的稳定运行同样需要依赖自然资源和气候条件。例如,与光伏发电和风力发电相比,核电需要更多的水资源支撑。

为了减少国家对核能的依赖,2015年法国前总统奥朗德颁布了《能源转型法》,提出到2025年将核电的占比降至50%。然而,当时的生态转型部部长却认为这样的目标很难实现。对于可再生能源是否具备满足法国能源需求的潜力,各界仍普遍存疑。

虽然法国热衷于打造自己在气候和环境领域的国际形象,但其可信度将更多地取决于它如何有效地应对国内的低碳经济转型。

Thursday, September 6, 2018

फीफा विश्व कप 2018: फ्रांस ने जीता फुटबॉल विश्व कप, फाइनल में क्रोएशिया को 4-2 से हराया

स्को (रूस).  फ्रांस ने क्रोएशिया को हराकर फुटबॉल विश्व कप 2018 पर कब्जा कर लिया। फाइनल में उसने क्रोएशिया को 4-2 से हरा दिया। पहले हाफ में तीन गोल हुए। 2 फ्रांस ने किए जबकि 1 क्रोएशिया ने। हालांकि, दूसरा हाफ फ्रांंस के नाम ही रहा। फाइनल में क्रोएशिया के स्ट्राइकर मारियो मांजुकिच ने 18वें मिनट में आत्मघाती गोल किया। ये इस विश्व कप का 12वां आत्मघाती गोल रहा। 
फ्रांस 20 साल बाद फिर चैम्पियन: क्रोएशिया को 4-2 से हराया, लगातार 7वें मैच में पहला गोल दागकर विपक्षी टीम पर दबाव बनाया
गोल्डन बूट किसके नाम?
वर्ल्ड कप फाइनल में वीएआर के जरिए पहली पेनल्टी दी गई। ये इस विश्व कप की 29वीं पेनल्टी है। इसमें 22 बार गेंद गोलपोस्ट में समाई। फ्रांस के ग्रीजमैन ने इस वर्ल्ड कप का चौथा गोल किया, जिसमें तीन गोल पेनल्टी पर ही हुए। अब वे सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में पुर्तगाल के कप्तान क्रिस्टियानो रोनाल्डो, बेल्जियम के रोमेलु लुकाकू और रूस के डेनिस चेरीशेव की बराबरी पर आ गए हैं। सबसे ज्यादा छह गोल इंग्लैंड के हैरी केन के नाम हैं, जो गोल्डन बूट के दावेदार हैं।गटन. अमेरिका के सबसे बड़े स्कैंडल वॉटरगेट का खुलासा करने वाले पत्रकार ने ट्रम्प के व्हाइट हाउस कार्यकाल पर एक किताब लिखी है। इसमें दावा किया गया है कि व्हाइट हाउस के अधिकारी ट्रम्प के सामने कई अहम और संवेदनशील दस्तावेज पेश ही नहीं करते। किताब में अफसरों के हवाले से लिखा गया है कि कई लोग वहां उन्हें बेवकूफ और झूठा भी कहते हैं। यहां तक की देश के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस भी उनकी समझ को पांचवीं के बच्चे के बराबर बता चुके हैं।
किताब लिखने वाले द वाशिंगटन पोस्ट के वरिष्ठ पत्रकार बॉब वुडवर्ड ने किताब का नाम ‘फियर: ट्रम्प इन द व्हाइट हाउस’ दिया है । यह किताब 11 सितंबर को रिलीज होगी। हालांकि, कुछ मीडिया संस्थानों ने पहले ही किताब के हिस्सों को रिलीज कर दिया। किताब में ट्रम्प के आने के बाद से व्हाइट हाउस के कामकाज की बिगड़ती स्थिति के बारे में बताया गया है। 

ट्रम्प ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर की हत्या की साजिश की: किताब में कहा गया है कि ट्रम्प ने पेंटागन को सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की हत्या की साजिश रचने के लिए कहा था। इस पर पहले मैटिस ने ट्रम्प के अनुरोध पर गौर किया, लेकिन उनके जाने के बाद अपने साथी से ऐसा कोई कदम नहीं उठाने के लिए कहा। इसके अलावा किताब में बताया गया है कि चीफ ऑफ स्टाफ जॉन केली ट्रम्प की मानसिक स्थिति पर सवाल खड़े कर चुके हैं। एक मीटिंग के दौरान उन्होंने व्हाइट हाउस का पागलों की जगह कह दिया था।

मध्यावधि चुनावों से पहले छवि खराब करने की कोशिश: किताब के कुछ अंश बाहर आने के बाद व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी सारा सैंडर्स ने बयान जारी किया। इसके मुताबिक, "किताब में गढ़ी हुई कहानियां शामिल की गई हैं। यह कहानियां बॉब (लेखक) को व्हाइट हाउस के कुछ असंतुष्ट कर्मचारियों से मिली हैं।" इसके अलावा खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी ट्वीट कर कहा कि बॉब की किताब में लिखी बातों को रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस और गृह मंत्री जॉन केली ने झूठ बताया। उन्होंने किताब के समय पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि क्या बॉब डेमोक्रेट्स के लिए काम कर रहे हैं?

कितने भरोसेमंद हैं बॉब वुडवर्ड?: बॉब वुडवर्ड वॉशिंगटन पोस्ट अखबार के सीनियर एसोसिएट एडिटर हैं। अमेरिका के मीडिया जगत में उन्हें काफी सम्मान दिया जाता है। दरअसल, बॉब ने अपने एक साथी के साथ पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के वॉटरगेट स्कैंडल का खुलासा किया था। इस स्कैंडल के सार्वजनिक होने के बाद निक्सन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बॉब अब तक जॉर्ज बुश और बराक ओबामा जैसे नेताओं पर किताबें लिख चुके हैं। उन्हें राजनीति में विशेषज्ञ पत्रकार माना जाता है। बताया जाता है कि जब किताब के सिलसिले में बॉब ने ट्रम्प से बात करने के लिए कहा तो तो अधिकारियों ने उन्हें व्हाइट हाउस आने से रोक दिया।
वॉटरगेट स्कैंडल: जून 1972 को वॉशिंगटन स्थित वॉटरगेट कॉम्पलेक्स बिल्डिंग में डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के ऑफिस में कुछ चोरों को पकड़ा गया था। यह कोई साधारण चोरी नहीं थी, क्योंकि चोरों का संबंध राष्ट्रपति निक्सन के चुनाव अभियान से था। चोरों को विपक्षियों के फोन टेप करने और संवेदनशील दस्तावेज चुराने का दोषी पाया गया था। निक्सन ने मामला दबाने की काफी कोशिश की, लेकिन अगस्त 1974 में न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट में मामला छपने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।